Breaking
Fri. Dec 6th, 2024

[ad_1]

आज के समय में ग्रॉसरी की ऑनलाइन शॉपिंग का चलन तेजी से बढ़ा है। खास तौर पर शहरों में लोग स्ट्रैटेजी की जरूरत की चीजें भी ऑनलाइन मंगाने लगे हैं। क्विक कॉमर्स के चलन में आने से और सहूलियत होने लगी है। ऑनलाइन सामान मंगाने से लोगों के समय की बचत होती है, साथ ही साथ थोड़ा ध्यान देने पर पैसे की भी अच्छी-खासी बचत हो सकती है।

सीएलएसए के शुरुआती नोट में अपडेट

एक निकोलाई की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अगर ग्रॉसरी की ऑफलाइन टाइमलाइन पर थोड़ा ध्यान दिया जाए तो एमपीआर पर 30 फीसदी से भी ज्यादा की बचत हो सकती है। यह दिलचस्प जानकारी ब्रोकरेज फर्म सीएल एएसपी के मॉर्निंग नोट में सामने आई है। सीएलएसए इंडिया ने 21 दिसंबर के मॉर्निंग नोट में अलग-अलग ऑफ़लाइन ग्रॉसरी प्लेटफॉर्म पर पार्टिसिपेंट्स के प्रोडक्ट्स, उन पर मिल रहे क्वार्टर, ऑफर चार्ज आदि की तुलना कर विस्तार से जानकारी दी है। h3>

रिसर्च नोट में सीएलएसए ने स्मॉल कार्ट चेक में बताया है कि क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म लिस्टेड एमएपी की तुलना में ठीक-ठाक दाम पर सामान दे रहे हैं। स्मॉल कार्ट क्लास में ब्लिंकिट, इंस्टिटामार्ट और जेप्टो एमआरपी की तुलना में 23 बेडरूम, 19 किशोरी और 24 किशोरी कर बेडरूम ऑफर कर रहे हैं। मतलब ब्लिंक और जेप्टो पर ग्रुप लगभग आस-पास हैं, लेकिन इंस्टामार्ट पर असंगत रूप से कम जगह मिल रही है। तीन उद्यम कुछ हैंडलिंग शुल्क वसूलने योग्य रहे हैं, जिससे अन्यत्र कुछ कम हो रहा है। वहीं ब्लिट पर उत्कृष्ट उत्पाद के सबसे कम उत्पाद हैं, लेकिन यह प्लेटफॉर्म मार्केटिंग फीस भी ले रहा है। प्लेटफ़ॉर्म पर अंतिम रूप से 30 प्रतिशत की आसा-पासा स्थित कंपनी की स्थापना की जा रही है। ये प्लेटफ़ॉर्म क्विक कॉमर्स की तुलना में 7 से 13 वर्ष तक की आय साबित हो रहे हैं। डीमार्ट पर शोरूम सबसे कम हैं और एम.आर.पी. की तुलना में 33 लैपटॉप तक अकेले पर सामान मिल जा रहे हैं। हालांकि डीमार्ट मामले में 49 रुपये के स्टार्टअप से स्मॉलकार्ट में इफेक्टिव गैप कम हो रहा है। वहीं जियो मार्ट स्मॉल कार्ट के मामले में डीमार्ट की तुलना में 20 साबित हो रही है, क्योंकि इस प्लेटफॉर्म पर बिजनेस फी नहीं ली जा रही है।

इस तरह से कार्ट का कैटेगर बाजार

कार्ट वजाहत में जा रहे हैं कुल कीमत के आधार पर वर्गीकरण तय किया गया है। अगर कुल सामान 800 रुपये से 1,600 रुपये के बीच हो रहे हैं, तो वे छोटी गाड़ी कहलाते हैं। वहीं 1,600 रुपये से अधिक की वैल्यू के मामले में क्लास लार्ज कार्ट हो जाती है। अगर 1,600 रुपये से ज्यादा का सामान खरीदा जा रहा है तो फिर डीमार्ट से बिजनेस का सबसे बड़ा सौदा साबित हो सकता है।

ये भी पढ़ें: जीआईपी से सबसे ज्यादा होने वाला है भारत का कुल कर्ज! आई मैथ्यू की ये चेतावनी कितनी गंभीर है?

[ad_2]

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *